सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

अगस्त, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

वन्दे मातरम्: एक वंदना-गीत जो आगे चलकर नारा भी बन गया

  स्वतंत्रता दिवस समारोह की शाम भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने एक विवादित वीडियो पोस्ट किया। जिसमें समारोह के दौरान प्रधानमंत्री मोदी लालकिले की प्राचीर से नारे लगवा रहे हैं और अरविंद केजरीवाल चुपचाप बैठे दिख रहे हैं। भारत और चीन के सैनिकों के बीच गलावन घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद पिछले माह अचानक प्रधानमंत्री मोदी गलवान घाटी पहुंच गए। वहां जाकर उन्होंने घायल जवानों से मुलाकात की। उसके बाद निमु जाकर भारतीय सेना और आईटीबीपी के जवानों के उत्साहवर्धन के लिए “भारत माता की जय” और “वंदे मातरम्” के नारे भी लगाये। बहरहाल इन सबके के बीच शायद कम ही लोग ऐसे हैं जो नारा लगाते समय ध्यान देते हैं कि “वंदे मातरम्” मूल रूप से वंदना गीत है। जो स्वाधीनता संग्राम के बीच और स्वाधीनता के बाद के दिनों में भी अक्सर विवादों में रहा है. इसे ठीक तरह से समझने के लिए हम इतिहास के पन्नों को पलटकर इसके गीत से नारा बनने और इससे जुड़ी कई और कहानियों को जानने का प्रयास करते हैं। इतिहास के पन्ने क्या कहते हैं हम इतिहास की पड़ताल वर्तमान की दहलीज़ पर खड़े होकर करते हैं। चूंकि, वर्तमान भी गुज़रे हुए वक्त की एक