'मेरे पास कोई चॉइस नहीं थी': कोरोना वायरस से पैदा हुयी आर्थिक तंगी में किराए के बदले सेक्स के बढ़ते मामले
हाउसिंग विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना महामारी के चलते बढ़ी बेरोजगारी में कई लोग अपने मकान का किराया नहीं चुका पा रहे हैं। ऐसे में मकान मालिक किराये के बदले में सेक्स की मांग कर रहे हैं।
पिछले सालों में ब्रिटेन और यूनाइटेड स्टेट्स में मकान के किराये के बदले सेक्स का चलन बढ़ रहा है। चैरिटीज ने इस मुद्दे को उठाया है कि वहाँ सेक्स फेवर्स के बदले मुफ़्त में मकान में रहने के ऑफर वाले ऑनलाइन विज्ञापन बढ़ रहे हैं।
कोरोना महामारी के चलते विश्वभर के लाखों लोगों ने अपनी आमदनी और नौकरियां खो दी हैं। यह स्थिति लॉकडाउन और यात्रा न करने की बाध्यता से बढ़े दबाव के चलते कई बिजनेस ठप्प हो जाने के कारण पैदा हुयी है।
नॉर्थ अमेरिका और यूरोप में ऑथोरिटीज ने लोगों को बेघर होने से बचाने के लिए उन तक सीधे कैश पहुँचाया है, किराये पर रोक लगायी है और निष्कासन बैन कर दिये हैं।
किरायेदारों को हाउसिंग भेदभाव से बचाने के लिए काम करने वाली संस्था NFHA के जनरल काउंसल मोर्गन विलियम्स कहते हैं, 'दोस्तों निष्कासन असुरक्षित होता है, खासतौर से महामारी के दौर में। यह हमें कुछ समय के लिए बिना चॉइस का बना देता है।'
उन्होंने थॉमसन रॉयटर्स एजेंसी से बात करते हुए कहा कि,' ऐसे समय में 'घर से निष्कासन' के मामले सामने आना आलोचनीय है। यह किसी भी तरह बंद होना चाहिए।'
हाउसिंग विशेषज्ञों का मानना है कि, 'किराए के लिए सेक्स की व्यापकता पर आँकड़े जुटाना मुश्किल है। इस मुद्दे पर सीमित जागरूकता के साथ-साथ कानूनी अस्पष्टताओं का मतलब है कि पीड़ितों को वेश्यावृत्ति के आरोपों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे दुर्व्यवहार के मामले अक्सर न दर्ज हो पाते हैं, ना ही इन पर दण्ड मिल पाता है।'
हाउसिंग चैरिटी शेल्टर, इंग्लैण्ड के 2018 के एक सर्वे के अनुसार पिछले पाँच सालों में देश भर की 2,50,000 महिलाओं से किराये के बदले में सेक्स फेवर्स के लिए पूछा गया है।
वेरा होबहाउस, एक ब्रिटिश कानून निर्माता जो ऐसी सेक्स प्रताड़ना के खिलाफ कैम्पेन(मुहिम) चलाते हैं। जिसमें सेक्सुअल लाभ के लिये शक्ति का दुर्पुयोग किया गया हो। उन्होंने कहा, 'किराये के बदले में सेक्स के मामले बढ़े हैं। जबकि, लोग लॉकडाउन के दौरान घरों में रहना चाहते हैं।'
"जबकि, कोविड 19 के चलते पैदा हुयी परिस्थितियों में ब्रिटेन के ढेरों लोग आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। ऐसे में इन विषम परिस्थितियों के दौरान उनके लिये बेघर होने से बचने के लिए इस व्यवस्था को अपनाना मजबूरी होगी," हाउसहोब ने कहा
NFHA के जनरल काउंसल मोर्गन विलियम्स कहते हैं कि यौन दुर्व्यवहार का शिकार बनी कई महिलाएं मकान खो देने के डर से मकान मालिकों के खिलाफ किसी तरह की कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाती हैं। या फिर वे इसलिए रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाती हैं कि वो इस दौरान गरीबी जैसी दूसरी परेशानियों से जूझ रही होती हैं।
विलियम्स कहते हैं, "मौजूदा हालत में शिकायत का रास्ता चुनना एक मुश्किल काम है।"
अमेरिका के एक मानवाधिकार संगठन, द एडवोकेट्स फॉर ह्यूमन राइट्स के महिला अधिकार अटॉर्नी कायरन लोंग ने कहा कि किरारायेदार पीड़ितों के लिए कई सेक्स पहले से ही असुरक्षित थे। जिनमें यौन तस्करी से बचे, पूर्व कैदी और जातीय अल्पसंख्यक शामिल थे।
वह आगे जोड़ते हैं,"यह सब टेबल के नीचे रखा गया है, इसे उजागर नहीं किया गया है। उन लोगों को औपचारिक सिस्टम के साथ काम करना पसंद नहीं है। क्योंकि औपचारिक सिस्टम अतीत में उनके लिए अच्छा नहीं रहा।"
रॉयटर्स एजेंसी की एक अंग्रेजी रिपोर्ट का अनुवाद!
प्रतीकात्मक तस्वीर साभार: सोशल मीडिया |
नेशनल फेयर हाउसिंग अलायंस(NFHA) के एक सर्वे के अनुसार यूनाइटेड स्टेट्स के 100 से ज्यादा फेयर हाउसिंग ग्रुप्स में से 13% ने पाया है कि कोरोना महामारी के दौरान यौन दुर्व्यवहार के मामलों में बढ़ोत्तरी हुयी है।
'अगर मैं उसके साथ सेक्स के लिये तैयार नहीं होती। तो वह मुझे बाहर निकाल देता' यह कहना है अपने प्रोपर्टी मैनेजर द्वारा प्रताड़ित की जा रही एक महिला का, जिसने NFHA की वेबसाइट के एक पोडकास्ट में बताया कि, ' सिंगल पैरेंट होने के चलते मेरे पास कोई चॉइस नहीं थी। मैं घर से बेदखल नहीं होना चाहती थी।'
पिछले सालों में ब्रिटेन और यूनाइटेड स्टेट्स में मकान के किराये के बदले सेक्स का चलन बढ़ रहा है। चैरिटीज ने इस मुद्दे को उठाया है कि वहाँ सेक्स फेवर्स के बदले मुफ़्त में मकान में रहने के ऑफर वाले ऑनलाइन विज्ञापन बढ़ रहे हैं।
कोरोना महामारी के चलते विश्वभर के लाखों लोगों ने अपनी आमदनी और नौकरियां खो दी हैं। यह स्थिति लॉकडाउन और यात्रा न करने की बाध्यता से बढ़े दबाव के चलते कई बिजनेस ठप्प हो जाने के कारण पैदा हुयी है।
नॉर्थ अमेरिका और यूरोप में ऑथोरिटीज ने लोगों को बेघर होने से बचाने के लिए उन तक सीधे कैश पहुँचाया है, किराये पर रोक लगायी है और निष्कासन बैन कर दिये हैं।
किरायेदारों को हाउसिंग भेदभाव से बचाने के लिए काम करने वाली संस्था NFHA के जनरल काउंसल मोर्गन विलियम्स कहते हैं, 'दोस्तों निष्कासन असुरक्षित होता है, खासतौर से महामारी के दौर में। यह हमें कुछ समय के लिए बिना चॉइस का बना देता है।'
उन्होंने थॉमसन रॉयटर्स एजेंसी से बात करते हुए कहा कि,' ऐसे समय में 'घर से निष्कासन' के मामले सामने आना आलोचनीय है। यह किसी भी तरह बंद होना चाहिए।'
हाउसिंग विशेषज्ञों का मानना है कि, 'किराए के लिए सेक्स की व्यापकता पर आँकड़े जुटाना मुश्किल है। इस मुद्दे पर सीमित जागरूकता के साथ-साथ कानूनी अस्पष्टताओं का मतलब है कि पीड़ितों को वेश्यावृत्ति के आरोपों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे दुर्व्यवहार के मामले अक्सर न दर्ज हो पाते हैं, ना ही इन पर दण्ड मिल पाता है।'
हाउसिंग चैरिटी शेल्टर, इंग्लैण्ड के 2018 के एक सर्वे के अनुसार पिछले पाँच सालों में देश भर की 2,50,000 महिलाओं से किराये के बदले में सेक्स फेवर्स के लिए पूछा गया है।
वेरा होबहाउस, एक ब्रिटिश कानून निर्माता जो ऐसी सेक्स प्रताड़ना के खिलाफ कैम्पेन(मुहिम) चलाते हैं। जिसमें सेक्सुअल लाभ के लिये शक्ति का दुर्पुयोग किया गया हो। उन्होंने कहा, 'किराये के बदले में सेक्स के मामले बढ़े हैं। जबकि, लोग लॉकडाउन के दौरान घरों में रहना चाहते हैं।'
"जबकि, कोविड 19 के चलते पैदा हुयी परिस्थितियों में ब्रिटेन के ढेरों लोग आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। ऐसे में इन विषम परिस्थितियों के दौरान उनके लिये बेघर होने से बचने के लिए इस व्यवस्था को अपनाना मजबूरी होगी," हाउसहोब ने कहा
NFHA के जनरल काउंसल मोर्गन विलियम्स कहते हैं कि यौन दुर्व्यवहार का शिकार बनी कई महिलाएं मकान खो देने के डर से मकान मालिकों के खिलाफ किसी तरह की कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाती हैं। या फिर वे इसलिए रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाती हैं कि वो इस दौरान गरीबी जैसी दूसरी परेशानियों से जूझ रही होती हैं।
विलियम्स कहते हैं, "मौजूदा हालत में शिकायत का रास्ता चुनना एक मुश्किल काम है।"
अमेरिका के एक मानवाधिकार संगठन, द एडवोकेट्स फॉर ह्यूमन राइट्स के महिला अधिकार अटॉर्नी कायरन लोंग ने कहा कि किरारायेदार पीड़ितों के लिए कई सेक्स पहले से ही असुरक्षित थे। जिनमें यौन तस्करी से बचे, पूर्व कैदी और जातीय अल्पसंख्यक शामिल थे।
वह आगे जोड़ते हैं,"यह सब टेबल के नीचे रखा गया है, इसे उजागर नहीं किया गया है। उन लोगों को औपचारिक सिस्टम के साथ काम करना पसंद नहीं है। क्योंकि औपचारिक सिस्टम अतीत में उनके लिए अच्छा नहीं रहा।"
रॉयटर्स एजेंसी की एक अंग्रेजी रिपोर्ट का अनुवाद!
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